यादें...यूं ही नहीं फ्लाइंग सिख कहलाते थे मिल्खा सिंह
मिल्खा सिंह भारत के ऐसे ATHLETE थे जिन्हें हम असली हीरो भी बोल सकते है मिल्खा सिंह ने उस समय जब सुविधाओ की बहुत कमी हुआ करती थी तब इतने मैडल भारत की झोली मैं डाल दिए जितने आज तक कोई नहीं डाल पाया 91 साल की ज़िन्दगी की रेस ख़तम कर के भारत माका ये बेटा तो दुनिया छोड़ के जा चूका है और ये हमेशा हमारे दिल मैं रहेंगे भारत को हमारे मिल्खा सिंह की कमी महसूस होगी आइये जानते मिल्खा सिंह का 91 साल का सफ़र
MILKHA SINGH का जन्म 20 November 1929 गोविन्दपुरा एक सिख फैमिली मैं हुआ था जोकि अब PAKISTAN मैं मिल्खा सिंह 15 भाई बहिन थे जिनमे से 8 की मृत्यु भारत पाकिस्तान के बटवारे से पहले ही हो गयी थी बटवारे के दोरान सिंह के माता पिता एक भाई और 2 बहिन उनकी आँखों के सामने मारे गए तब सिंह अनाथ हो गए थे 1947 मैं सिंह अपनी बहिन ईश्वर के पास दिल्ली चले गए पर बिना टिकेट के यात्रा करने के जुर्म मैं उन्हें सजा होगयी और उन्हें तिहाड़ जेल मैं बंद करदिया सिंह की रिहाई के लिए उनकी बहन इश्वर ने कुछ आभूषण बेचे और उन्हें रिहा क्या उसके बाद उन्होंने कुछ समय पुराना किला में एक शरणार्थी शिविर और दिल्ली शाहदरा में एक पुनर्वास कॉलोनी में बिताया
कुछ दिन ऐसे ही बीत ते गए फिर सिंह के दिमाग मैं डकेत बन ने का ख्याल आया पर उनके भाई मलखान सिंह ने समझया और उनको इंडियन आर्मी मैं जाने की सलाह दी फिर बहुत महनत के बाद 1951 मैं सिंह आर्मी ज्वाइन करली और सिकंदराबाद मैं इलेक्ट्रिकल मेकेनिकल इंजीनियरिंग सेण्टर मैं तैनात रहने के दोरान उन्हें एथलेटिक्स से परिचित कराया गया उन्होंने एक बच्चे के रूप में स्कूल से 10 किमी की दूरी तय की थी और नए रंगरूटों के लिए अनिवार्य क्रॉस-कंट्री रन में छठे स्थान पर रहने के बाद सेना द्वारा एथलेटिक्स में विशेष प्रशिक्षण के लिए चुना गया था सिंह ने स्वीकार किया है कि कैसे सेना ने उन्हें खेल के लिए पेश किया, यह कहते हुए कि "मैं एक दूरदराज के गांव से आया था, मुझे नहीं पता था कि दौड़ना क्या है, या ओलंपिक और उसके बाद मिल्खा सिंह ने कभी पीछे मुड कर नहीं देखा
MILKHA SINGH ने मैडल के साथ साथ RUNNING मैं सारे WORLD RECORD तोड़ दिए MILKHA SINGH से हमे एक बात सिखने को मिलती है की हमेशा हमारे सामने 2 रास्ते होते है पर हमे कोनसा चुनना है वो हमरे हाथ मैं होता है अगर MILKHA SINGH ने उस दिन गलत रास्ता चुना होता तो आज इनको कोई नहीं जनता एक बात हमेसा हमें याद रखनी चाहिए की सचाई का रास्ता बेसक कठिन हो पर आपकी पहचान उसीसे बनती है
Medal | Event | Category |
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MedalGold | Event1958 Asian Games | Category200 m |
MedalGold | Event1958 Asian Games | Category400 m |
MedalGold | Event1958 Commonwealth Games | Category440 yards |
MedalGold | Event1962 Asian Games | Category400 m |
MedalGold | Event1962 Asian Games | Category4X400 m relay |
MedalGold | Event1958 Cuttack National Games | Category200 m |
MedalGold | Event1958 Cuttack National Games | Category400 m |
MedalSilver | Eventrow8 column2 | Category400 m |
1958 ASIAN GAMES
के बाद सिंह की सफलता को देखते हुए उन्हें सिफाही से JUNIOR COMMISSIONED OFFICER बना दिया गया था, उसके बाद MILKHA SINGH Punjab Ministry of Education के स्पोर्ट्स डायरेक्टर बने और 1998 मैं सिंह रिटायर्ड हुए, और 1958 की खेल सफलता को देखते हुए भारत के चोथे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पदम श्री से उन्हें सम्मानित किया गया
Milkha Singh Married Nirmal Saini In 1962
MILKHA SINGH बताते थे की हमारे ज़माने मैं लड़की से बात करना तो दूर की बात थी लड़की को हम 1 मील दूर से देख कर ही खुश हो जाते थे की आज लड़की के दर्शन हो गये अगर कोई लड़की से बात करते देख लेता था तो काट के फेक देते थे, SRI LANKA 1956 मैं मिल्खा सिंह पहली बार जब निर्मल सैनी से मिले थे तब निर्मल सैनी VOLLYBALL TEAM की कप्तान बन के आई थी और मिल्खा सिंह अपनी टीम के कप्तान बन के गए थे और दोनों वहा खाने पे मिले थे बहा पर दोनों को एक दुसरे से परिचित कराया गया उसके बाद 1960 मैं दोनों DELHI मैं मिले थे जब तक मिल्खा सिंह ने बहुत नाम कमा लिया था फिर दोनों की लव स्टोरी चालू हुई और कुछ दिन बाद लोगो मैं बाते चलने लगी मिल्खा सिंह की लव स्टोरी के बारे मैं फिर इन दोनों ने फैसला किया की हम शादी करलेते है और 1962 मैं इन्होने शादी करली
MILKHA SINGH,S CHILDREN
MILKHA SINGH के 4 बच्चे है 1 लड़का और 3 लडकिया पर उनके 2 बच्चो के बारे मैं ही पता है 2 लडकियों के बारे मैं कही कुछ नहीं बताया गया है
MILKHA SINGH के लड़के का नाम JEEV MILKHA SINGH है आपको बतादे की JEEV एक भारतीय पेशेवर गोल्फर हैं जो 1998 में यूरोपियन टूर में शामिल होने वाले भारत के पहले खिलाड़ी बने JEEV ने बहुत से टूर जीते और और उन्हें पदम श्री से भी सम्मानित किया जा चूका है
MILKHA SINGH की लड़की SONIA SANWALKA उनके बारे मैं ज्यादा तो पता नहीं पर आपको बतादे की सिंह के ऊपर बनी फिल्म Bhag Milkha Bhag जिस स्टोरी पे आधारित है उसे लिखने वाली Sonia Sanwalka ही है The Race Of My Life और कुछ ज्यादा जानकारी नहीं है हमारे पास Sonia Sanwalka के बारे मैं
Adopted Son
मिल्खा सिंह सचमे सोने के दिल वाले थे 1999 कारगिल की लड़ाई मैं सहीद हुए हवालदार विक्रम सिंह के 7 साल के बच्चे को उन्होंने गोद लिया था और उसकी पढाई से लेकर हर तरहा की उसे सपोर्ट की
Was refused the Arjuna Award in 2001
मिल्खा सिंह ने ये कह के ठुकरा दिया था अर्जुन पुरस्कार को की ये पुरस्कार उन लोगो को दिया जा रहा है जिनकी बहुत कम भागेदारी है मतलब की जैसे जो नए लोग है या जिन लोगो ने बहुत कम खेलो मैं भाग लिया है ये अवार्ड उन्हें दिया जा रहा है उन्ही लोगो मैं मुझे भी गिना जा रहा है और तो और एक गोवा के एक कॉलेज मैं मिल्खा सिंह ने ये तक कह दिया था की पुरस्कार तो आजकल मंदिर का प्रसाद हो गया है बस हाथ फेलाओ और लेलो चाहे आप उसके काबिल हो या नहीं
सिंह ने अपने सभी मैडल सरकार को देदिए थे सरकार ने वो मैडल कुछ दिन दिल्ली के जवाहर लाल नेहरु स्टेडियम मैं रखे बाद मैं उन मेडलो को पटियाला के एक स्पोर्ट्स म्यूजियम मैं लेजाया गया
2012 मैं अभिनेता राहुल बॉस ने एक चैरिटी नीलामी रखी थी तो सिंह ने अपने वो एडिडास के जुत्ते नीलामी मैं देदिए जिनसे सिंह ने 1960 रोम मैं 400 मीटर की रेस जीती थी
आपको बतादे की सिंह के ऊपर बनी फिल्म 2013 मैं सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी जिसने Approx 170 Cr. की कमाई की और इस फिल्म को बन ने से पहले ही सिंह की डिमांड थी की कमाई का 15% ट्रस्ट को जायेगा और वैसा ही हुआ आज हमको यकीन नहीं होता की मिल्खा सिंह आज हमारे बीच नहीं रहे मिल्खा सिंह की पत्नी निर्मल सिंह को 5 दिन ही हुए थे हमे छोड़ के जाए हुए और और अब हमने एक और Legend को खो दिया|
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